Saturday 27 May 2017

घुमक्कड़ों के लिए मोबाइल एप्प्स (Mobile Apps For Trekkers/Hikers/Travellers/Tourists)

स्मार्टफोन आज हर किसी की प्राथमिक ज़रूरत बन चुका है | आजकल किसी के पास कुछ हो न हो स्मार्टफ़ोन जरूर है | घुमन्तु जीवों के लिए मोबाइल फ़ोन न केवल बात करने का साधन है बल्कि रास्ता पता लगाना, होटल ढूँढ़ना, फ़ोटो खींचना, टोर्च, घड़ी, कम्पास आदि सभी जन्त्रों का काम इससे लिया जाता है | आज इसी स्मर्टफ़ोन और घुमक्कड़ों को ध्यान में रखते हुए ये पोस्ट लिखी जा रही है, ताकि सभी इस टेक्नोलॉजी का और बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकें | कुछ अच्छे एप्पस डाउनलोड लिंक के साथ नीचे दिए गए हैं :

माई ट्रैक्स (My Tracks): 
आपके रास्ते का हिसाब रखने वाली ये एप्प न केवल दूरी समय और रफ़्तार नपती है बल्कि ऊंचाई, चढाई का ग्रेड और मैप पर आपका रास्ता सब संजो कर रखती है | ये एप्प GPS के द्वारा चलती है और अगर मोबाइल में इंटरनेट न भी हो तो भी आप इसे इस्तेमाल कर सकते हैं, बस आपको मैप पर जगहों के नाम नहीं दिखाई देंगे | इस एप्प की सबसे ख़ास बात यह है कि ये बहुत कम बैटरी खाती है | नीचे दिए लिंक से डाउनलोड कर अपनी अगली यात्रा को संजो कर रख लें |

 

रेडमी का मोबाइल इस्तेमाल करने वाले ध्यान दें :
एप्प शुरू करने के बाद इसे मेमोरी में लॉक करना न भूलें जिसका तरीका इस प्रकार है :
बहिना बटन दबाएं जिससे खुली हुई एप्प्स सामने आ जाएँ
इस एप्प को नीचे की तरफ़ सरकाएं
ऊपर आए ताले पर क्लिक करें
एक नीला ताला एप्प पर बन जाएगा जिसका मतलब है एप्प लॉक हो चुकी है
अब एप्प मोबाइल लॉक करने पर भी बंद नहीं होगी
ये तरीका किसी भी एप्प के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है जो अक्सर फ़ोन लॉक करने पर बंद हो जाती है |

पीक फाईँडर (Peak finder) :
आप किसी ऊँचे स्थान पर खड़े हो और सामने दिख रहे पहाड़ों का नाम जानना चाहते हो तो यह एप्प आपको चोटियों के नाम और ऊँचाई बताएगी । शुरुआत में इसमें भी करीब 100 mb का डाटा डाउनलोड करना पड़ेगा । अगर इसमें जगह सेट करने में कोई परेशानी आये तो सर्च में जा कर पास के किसी ऊँचे पर्वत को सिलेक्ट कर लीजिए और चोटियों की बनावट से आप समझ जाएंगे की कौन सी कौन है ।



Cover art
साईजिक मैप्स (GPS Navigation & Maps Sygic) : 
गूगल मैप्स का अच्छा विकल्प है जो बिना इंटरनेट के GPS से चलता है । पहली बार आप जब ये एप्प शुरू करेंगे तो आपको पूरे भारत का मैप डाटा इन्टरनेट से डाउनलोड करना पड़ेगा जोकि लगभग 1.5 GB का होगा । इसके बाद आपको फिर कभी इन्टरनेट की जरुरत नहीं पड़ेगी और पूरे भारत के मानचित्र एवं सभी सड़कों का ब्यौरा आपके मोबाइल में हर समय होगा |



फोटोशॉप मोबाइल फुल एप्प (Photoshop Mobile Paid) :
Cover art
बहुत सारे घुमंतुओं के पास DSLR कैमरा है और अधिकतर RAW में फ़ोटो खींचना पसंद करते हैं | ये एप्प आपको RAW फोटो मोबाइल में एडिट करने कि क्षमता देती है | कैमरे से मोबाइल में फ़ोटो डालिये और इस एप्प में एडिट करके तत्काल फेसबुक, ट्विटर पर शेयर करिये बिना लैपटॉप या कंप्यूटर कि मदद के वो भी उन्हीं सभी ऑप्शन्स के साथ जो आपको कंप्यूटर पर मिलते हैं |अगर आपके कैमरे में wifi नहीं है तो कैमरे से मोबाइल में फोटो डालने के लिए कैमरे की usb केबल को OTG केबल के ज़रिये मोबाइल से जोड़ा जा सकता है व फोटो कॉपी किए जा सकते हैं ।

नोट:  इस एप्प में .ARW फाइल फॉर्मेट नहीं चलता है |


सनैपसीड़ (Snapseed) : 
अगर आप मोबाइल से फोटो खींचते हैं तो ये एप्प आपके लिए बिल्कुल सही है | चंद लम्हों में आप साधारण सी फोटो को असाधारण रूप दे सकते हैं | इस एप्प में ढेरों ऑप्शन्स हैं जो आपकी फोटो पर चार चाँद लगा देंगें |


मौजूदा एप्प्स का रचनात्मक प्रयोग :
रिकॉर्डर (Voice Recorder) : 
अक्सर कहीं जाता हूँ तो वहाँ के इतिहास, मौजूदा हालात आदि की जानकारी इकट्ठी करने की कोशिश करता हूँ | ऐसे में मेरा अनुभव है कि जब भी आप किसी अजनबी से बात करें तो वीडियो की जगह आवाज़ ही रिकॉर्ड करें | इससे वे असहज नहीं होंगे और आप बाद में रिकॉर्डिंग सुन कर ब्लॉग या डायरी में लिख सकते हैं | वीडियो में ज्यादा बैटरी ख़र्च होती है और इतनी सारी जानकारी को याद रख पाना पुश्किल होता है | तथ्यों को याद रखने कि बजाय रिकॉर्ड कर लें | ये काम आप बातचीत के बाद केवल अपनी आवाज़ में भी कर सकतें हैं |


नोट्स (Notes) :
यात्रा के खर्च का हिसाब रखना हो या बाद के लिए कुछ लिख के रखना चाहते हों । ये एप्प उन लोगों के लिए बहुत अच्छी है जो यात्रा से लौट कर शीघ्र अतिशीघ्र ब्लॉग लिखना चाहते हैं । यात्रा के दौरान खाली समय में आप इस एप्प में अपना ब्यौरा लिख लीजिये फिर इन्टरनेट चलने पर उसे ब्लॉगर में कॉपी पेस्ट कर दीजिए और पब्लिश या ड्राफ्ट सेव कर लीजिए । यह पोस्ट भी अधिकाँश रूप से इसी ऐप्प में लिखी गई है ।


मौसम (AccuWeather) :
कहीं भी घूमने जा रहे हों तो इस ऐप्प पर आने वाले दिनों का मौसम अनुमान ज़रूर देख लें और उस हिसाब से तैयारी रखें ।


टेक्नोलॉजी पर बहुत ज्यादा भरोसा भी न करें, यह कहीं भी दम तोड़ सकती है । हमेशा दूसरा विकल्प सोच कर चलें । जैसा कि मेरे गुरूजी का कहना है कि एक धागा अगर हिमालय की ऊंचाइयों पर फ़ेल हो जाए तो जानलेवा सिद्ध हो सकता है । हमेशा सचेत, सब कुछ चेक करके चलें । भगवान भरोसे कुछ न छोड़ें ।
इस पोस्ट में लिखी गई तमाम जानकारी गुरूजी तथा मेरे अपने अनुभवों पर आधारित है । आप सबसे विनम्र विनती है कि आप भी अपना अनुभव साँझा करें और ऐसी ही लाभदायक एप्प्स, तरीकों के बारे में बाकि घुम्मकड़ों को जानकारी दें ताकि सभी एक दूसरे के अनुभवों का लाभ उठा सकें.....

बाँट देता हूँ जो भी छान लाता हूँ
ठाँव-ठाँव की ख़ाक से
मेरा तो खैर कभी कुछ न था

सीमित संजो कर रखूँ भी किस लिए
हक़ पर तो हक
कभी किसी का न था

ज्ञान है भी तो क्या आज, एक जानकारी
कुछ उन्होंने दी कुछ हमने मारी
असल का पता तो खैर जिसको है उसको था

खैर आज के घुमक्कड़ों में दो रोग हैं, मैं सबसे पहले गया, दूसरा जो भी मेरे बाद घूमने जा रहा है वो गन्दगी फैला रहा है, परमिट लगा देना चाहिए, बैन कर देना चाहिए | ऐसा ही रोग मीडिया में भी है एक्सक्लूसिव, हमने सबसे पहले दिखाया, दूसरा सोशल मीडिया अफवाह फैलाता है, इसको बैन करो | पता नहीं किस बात की होड़ लगी पड़ी है सब में.....


पहाड़ों के हुए घुमक्कड़ों के नाम......

Friday 19 May 2017

फतेहगढ़ साहिब

हमरे वंश रीत ईम आई
शीश देत पर धर्म न जाई

यही कहा था छोटे साहिबज़ादों ने एक स्वर में, बुलंद आवाज़ में, भरे दरबार में जब वज़ीर खान ने उन्हें जान बचाने के लिए अपना सिख धर्म छोड़ इस्लाम कबूल करने को कहा था | 26 दिसम्बर 1705 के दिन उन्होंने भी अपने दादा जी के नक़्शे कदम पर चलते हुए धर्म त्यागने के बदले जान देना उचित समझा | शहीद साहिबज़ादे बाबा ज़ोरावर सिंह जी और बाबा फ़तेह सिंह जी तब सिर्फ़ 9 और 6 साल के थे |

गुरु अर्जनदेव जी पहले शहीद हुए
तब से ही सिंह सशस्त्र वीर हुए
खुसरो को दी शरण जहांगीर से बचाया
आते काल को देख बेटा गुरु बनाया
मुग़ल हुआ है वहशी बुरा वक्त है आया
अगर प्रेम और सहनशीलता से मैं जीत न पाया
फिर तुम कर धारण शस्त्र धर्म बचाना
देख लिया था गुरु ने होनी का होना
चले गए लाहौर जहांगीर बुलाया
और उनपर फिर झूठा मुकदम्मा चलवाया
दो लाख का दिया जुर्माना लगाया
आदि ग्रन्थ में कुछ फेर सुझाया
पर गुरु दृढ़ जहांगीर के हाथ न आया
जहांगीर गुरु सौंप चंदू को, जिस द्वेष दिखाया
हैवान को भी हैवानियत पर तरस था आया
जेठ महीने गुरु पानी की देग उबाला
और ऊपर सिर पर गर्म रेत भी डाला
गुरु सहा सब तेरा भाणा मिट्ठा जो लागा
रावी के जल में बहा, यासा था साधा

सेली टोपी छोड़ अब कलगी दस्तार जो पहनी
दरवेश बादशाह संत सिपाही चार एक के सानी
मिरी पीरी की दो तलवारें गुरु हरगोबिन्द लिए उठाए
योद्धा बड़ा पराक्रमी जिस सिंह सैनिक बनाए
बावन राजा मुक्त कराए चार युद्ध लड़ आए
तभी बंदीछोड़ पातशाह कहलाए
हरिमंदिर के सामने अकालतख़्त बनाए
जो किरतपुर में गए ज्योतिजोत समाए

गुरु तेग बहादुर के पास कश्मीरी पण्डित आए
फिर गुरु गोबिंद सिंह जो मार्ग सुझाए
बंदी बने गुरु संग तीन सिख भी आए
मुग़ल जिन्हें सिरहिन्द से दिल्ली लाए
लाख उकसावे औरंगज़ेब पर गुरु चमत्कार न दिखलाए
उस पर्म पिता के काम में दखल न पाए
दयाल दास जिस मुग़ल दो टुकड़े कराए
मती दास जिस खोलते तेल में गोते लाए
सती दास जिस लपेट रुईं में आग लगाई
गुरु रहे अडिग सब देख वाहे गुरु जपते जाए
मुग़ल को अपनी वहशत पर शर्म न आए
इस्लाम के नाम पर जुल्म जो ढाए
गुरु दे शीश परलोक जो पाए

सूबा-ऐ-सरहिंद में आज अत्याचार की प्रलय है आयी
दो बच्चों की जान का हुक्म है शाही
नवाब मलेरकोटला जिस लाया हा दा नारा
बाप का बदला बेटों से ये कैसा फ़रमान तुम्हारा
गल-सड़ गया है वज़ीर खान अंदर का मुस्लमान तुम्हारा

सूबा-ऐ-सरहिंद सब दे रहा दुहाई
किस नींव पर आज तुमने ये दीवार बनाई
अहंकार, बदला और द्वेष
आखिर इनकी भी तो कोई हद होगी भाई
ऐ वज़ीर खान तूने ये कैसी वहशत है दिखलाई
मासूम, खिलते खेलते बच्चे किसे न भाते
और दे फतवा आज तुम हो दीवारों में चिनवाते

राजमिस्त्री लगा है करने चिनवाई
धर्म की राह पर अटल हैं दोनों भाई
साहस, विश्वास और निर्भयता मुख तेज रूहानी
जपजी साहिब जपते दोनों एक जुबानी

दीवार में चिनता हुआ मिस्त्री घुटनों तक पहुँचा
ईंट तोड़-तोड़ बनाने लगा घुटनों के लिए खाँचा
बोला फिर वज़ीर खां मुँह से शब्द ये छूटे
तोड़ दे तू ये घुटना पर ईंट न टूटे
दीवार रहे सीधी चाहे छीलें या फूटें
जो न कबूले इस्लाम उसको यही सजा है भाई
सुच्चानन्द ने कहा ठीक
ये तो उसी सांप के सपोले हैं भाई

जब पहुंची दीवार फ़तेह के सिर तक
तो बोला वो सुन बड़े भाई
आया था तुझसे बाद पर
तुझसे पहले है मौत ब्याही
तुमसे अच्छी किस्मत है मैंने पायी
चला हूँ उस राह जिस गुरु दिखाया
मिलने अपने पुरखे जिस धर्म बचाया

गुरु गोबिंद पिता हम बच्चे जिनके
देख हमारे वंश के बलिदान कितने
और तू डराता हमको मौत दिखा के
अडिग हैं हम धर्म की राह पर
जो मर्जी अत्याचार तू डाह ले

चिन गई दीवार साहिबजादे भी चिन गए
9 और 6 साल के बच्चे आज बड़ा साका कर गए
जिस राह बड़े-बड़े न चल सके
उस राह हंसी ख़ुशी हैं चल गए

होनी को भी इस अत्याचार पे शर्म थी आयी
काल भी खा न सका दो पवित्र भाई
कुछ पल बाद ही थी दीवार गिराई
अभी भी जिन्दा थे दोनों
मौत हाथ भी न थी लगा पाई

वज़ीर खान को फिर भी शर्म न आयी
निर्दोष बच्चों पर फिर उसने कठोर क्रूरता दिखलाई
बैठ छाती पर दोनों का गला कटवाया
दरिंदगी का परचम सूबा सरहिंद लहराया

ऐसी शहीदी न देखी कहीं जग देख मुकाया
चारों सुत देकर दशमेश नाम कमाया
सरवंश दान कर सरवंश दानी कहलाया
धन गुरु गोबिंद सिंह आपे गुरु-चेला
जिस धर्म की खातिर क्या न लुटाया

आठ महीने, अनन्दपुर के किले को मुग़ल तथा पहाड़ी राजाओं कि संगठित फ़ौज घेर कर बैठी रही | आपसी रजामंदी पर जब गुरु गोबिंद सिंह जी सपरिवार बाकि सिंहों के साथ अनन्दपुर से निकलते हैं तो पहाड़ी राजाओं के मुग़लों के साथ मिलकर अचानक किए गए विश्वासघाती हमले के चलते सिरसा नदी को पार करते हुए परिवार के तीन हिस्से हो जाते हैं | गुरु गोबिंद सिंह जी बड़े साहिबज़ादों (बाबा अजित सिंह जी एवं बाबा जुझार सिंह जी) के साथ निहंग खां पठान के पास ठहरने के बाद 7 पोह (20 दिसम्बर 1705) की शाम तक चमकौर पहुँचते हैं | माता सिमरत कौर जी और माता साहिब कौर जी माई भागोवाल जी के साथ एक रात रोपड़ में गुज़ारने के बाद दिल्ली की तरफ चलीं जातीं हैं | गुरु माता गुजरी जी और छोटे साहिबज़ादे (बाबा ज़ोरावर सिंह जी और बाबा फ़तेह सिंह जी) सिरसा और सतलुज के किनारे-किनारे चलते हुए बाबे कुम्मे मश्क़ी की घास-फूस की झोंपड़ी में रात बिताने के बाद 8 पोह को रसोईये गँगू के घर ठहरते हैं |
गँगू को सिख इतिहास में गँगू पापी भी कहा जाता हैं क्यूँकि वो शाही ईनाम के लालच में आकर 9 पोह की सुबह मोरिंडा के कोतवाल जानी खां और मानी खां को गुरु माता और छोटे साहिबज़ादों का पता बता देता है | 10 पोह को माता गुजरी और छोटे साहिबज़ादों को सरहिंद लाया जाता है और ठन्डे बुर्ज़ में कैद कर दिया जाता है | 11 पोह को पहली पेशी होती है फिर 12 को दूसरी और 13 पोह को उन 9 और 6 साल के बच्चों को नींव में चिनवा दिए जाने का शाही फ़रमान जारी किया जाता है |


गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब, जहाँ छोटे साहिबज़ादों को नींव में चिनवा दिया गया | नींव में चिनवाने के बाद मुग़लों को अब भी यकीन न हुआ था कि वाकई उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के वंश का अंत कर दिया है या नहीं | दीवार गिर गई और बाद में अत्याचारी वज़ीर खां ने छोटे साहिबज़ादों का अचेत अवस्था में सिर कलम करने का आदेश सुनाया |


इन पुत्रन के कारने वार दिए सुत चार
चार मुए तो क्या हुआ जीवित कई हजार
-गुरु गोबिंद सिंह जी

अपने असंख्य पुत्रों की रक्षा हेतु
मैंने वार दिए अपने सुत चार
जिस धर्म की खातिर चार गए
उसे जीवित रखते ये हज़ार

खैर मुग़ल जिसे वंश का अंत समझ रहे थे वो कहाँ जानते थे कि गुरु गोबिंद सिंह जी तो दशमेश पिता बन चुके हैं | हर एक सिंह स्वयं गुरु गोबिंद जी का बेटा है |



गुरुद्वारा साहिब ठण्डा बुर्ज़ जहाँ माता गुजरी जी और छोटे साहिबज़ादों को कैद करके रखा गया और यहीं माता गुजरी जी ने प्राण त्याग दिए |
गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब जहाँ माता गुजरी जी तथा छोटे साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार किया गया | यह गुरुद्वारा जिस जगह बना है वह संसार की सबसे महँगी ज़मीन है जिसे गुरु गोबिंद सिंह के अनुयायी दीवान टोडर मल ने अत्याचारी वज़ीर खां से खरीदा | जब माता गुजरी और छोटे साहिबज़ादे शहीदी पा गए तो क्रूर वज़ीर खां ने उनका संस्कार करने के लिए भी ज़मीन न दी और यह शर्त रखी की सोने के सिक्कों को खड़ा करके ज़मीन लेलो और संस्कार कर लो | तब टोडर मल जी जो गुरु गोबिंद सिंह के सच्चे अनुयायी थे, उनहोंने इस संसार की सबसे महँगी ज़मीन को बाशर्त खरीदा और माता गुज़री तथा छोटे साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार किया | उनके गुरुधर्म पर अटल बने रहने के कारण उन्हें दीवान की उपाधि दी गई |


सरहिंद फतेहगढ़ साहिब का पुराना नाम है | बाबा फ़तेह सिंह जी के नाम पर इसका नाम फतेहगढ़ साहिब किया गया | पंजाब राज्य में फतेहगढ़ साहिब जिला है | फतेहगढ़ साहिब शहर में आने-जाने के लिए चार रास्ते हैं | चारों रास्तों पर भव्य द्वार बनाए गए हैं | इन द्वारों के नाम हैं :
1. बाबा बन्दा सिंह बहादुर द्वार (जिन्होंने मुग़लों को हरा कर फिर से सुशासन स्थापित किया)
2. दीवान टोडरमल द्वार (जिन्होंने संसार कि सबसे महंगी ज़मीन ख़रीद छोटे साहिबज़ादों और माता गुजरी जी का संस्कार किया)
3. बाबा मोती राम मेहरा द्वार (जिन्होंने ठण्डे बुर्ज़ में बंदी बनाए गए छोटे साहिबज़ादे और माता गुजरी जी को दूध पिलाने कि सेवा की और वज़ीर ख़ान ने उन्हें परिवार सहित कोहलू में पिसवा दिया)
4. नवाब शेर मुहम्मद ख़ान द्वार (जिन्होंने वज़ीर ख़ान के उकसावे में न आकर अपने भाई की मौत का बदला बच्चों से लेना उचित न समझा व उसके इस कृत्य की कड़ी निंदा की)


14 मई 1710 को वज़ीर ख़ान को उसके अत्याचारों कि कीमत चुकानी पड़ी | बन्दा सिंह बहादुर जी के नेतृत्व में सिंहो ने सरहिंद फ़तेह कर फिर से सुशासन स्थापित किया | 

हर साल 26 से 28 दिसंबर, शहीदी जोड़ मेला और 12 से 14 मई, सरहिंद फ़तेह मेला लगता है | इन्हीं मेलों के आस-पास यात्रा करें तो आपको पंजाब की अच्छी झलक देखने को मिलेगी |

चण्डीगढ़ से फतेहगढ़ साहिब लगभग 50 km दूर है | जेठ (15 मई 2017 ) महीने में की गई इस साइकिल यात्रा में गर्मी का भीषण प्रकोप रहा और बाकि की कसर SH-12A के जानलेवा ट्रैफिक ने निकाल दी | अगर इन गर्मियों में कहीं यात्रा कर रहे हों तो सुबह या शाम को ही करें, गर्मी में निकलने से बचें | हमेशा पानी का घूँट भर कर रखें इससे गला नहीं सूखेगा, साँस लेने में भी कम तकलीफ़ होगी और दिमाग़ को यह विरोधाभास रहेगा की पानी की कमी नहीं है जिससे माँसपेशियों में क्रैम्प पड़ने का अंदेशा भी कम रहेगा | शरीर पूरा ढक कर चलें लू से बचाव रहेगा | भरी गर्मी में मशक्कत करने पर सबसे  पहले पसीना आता है फिर पसीना आना बंद होता है फिर नाक बहती है इससे आगे आप बेहोश हो सकते हैं | जिस्म की स्तिथि का अंदाज़ा मूत्र के रंग से भी लगाया जा सकता है | साइकिल चलाते हुए बारी-बारी से एक टाँग से ज़ोर लगाएँ और दूसरी को रेस्ट करने दें इससे आप लगातार ज़्यादा दूरी तय कर सकते हैं | कृप्या हेडफोन लगा कर साइकिल न चलाएँ और हो सके तो साइकिल में रियर व्यू मिर्रर लगवा लें इससे बार-बार पीछे मुड़ कर देखना नहीं पड़ेगा व गर्दन को भी आराम रहेगा | बाकि रास्ते की जानकारी आपको गूगल मैप्स पर मिल जाएगी |



मैं चारे पुत्त क्यों वारे ज़रा विचारयो
जे चले ओ सरहन्द नूं मेरे प्यारओ
मेरे लालां दे नाल रेह के रात गुज़ारयो

कुछ अन्य यात्राएँ जो सिख इतिहास से सम्बन्ध रखतीं हैं :

चमकौर साहिब यात्रा