Sunday 9 April 2017

मेजर जनरल सोमनाथ झा और उनकी अनूठी श्रद्धांजलि


अपनी पूरी सेवा देकर
सेवानिवृत होकर
अब वह चला रहा है साइकिल
उन सभी की याद में
जो सेवानिवृत न हो सके

वो चला रहा है साइकिल
पर्वत पठार मैदान में
हर उस दोस्त की याद में
जो माँ की रक्षा करते हुए
वीरगति को प्राप्त हुआ
ताकि कह सके वो खुद से
मेरे दोस्त मैं तुझे भूला नहीं

वो चला रहा है साइकिल
भारत माँ के सम्पूर्ण विस्तार में
ताकि कह सके शहीदों के परिवार से
बलिदान व्यर्थ गया नहीं


क्या होंसला लिए चलता है वो
साथ रूहों का लिए चलता है वो
अपने दोस्तों को लिए चलता है वो
पर ज़माने की निगाहों में अभी तलक अकेला है


गोली लगी होगी जब उसे
इक पल को शायद आहत हुआ होगा
पर दूसरे ही पल उसने भारत माँ के
दुश्मन पर वार किया होगा
और उसका अमर बलिदान
जो हमने भुला दिया
मेजर जनरल सोमनाथ झा को देख कर
कुछ वतन परस्तों ने तो याद किया होगा


अनुशासन, सेवा, बलिदान, त्याग, शक्ति, साहस, सम्मान ऐसे शब्द कान में पड़ते ही, स्वतः ही एक फ़ौजी की तस्वीर ज़ेहन में बन जाती है | वही फ़ौजी जो सीमा पर तैनात है, एकदम चौकस ताकि पूरा देश चैन से सो सके | आज़ादी के बाद से 21000 फ़ौजी शहीद हो चुके हैं | किसे याद है? कौन ध्यान देता है ? हमको तो बस वो पेट्रोल पम्प दिखता है जिसपे शहीद का नाम लिखा है | और आज एक सेवानिवृत फ़ौजी ने यह बेड़ा उठाया है कि पूरे देश को बता दिया जाए कि तुम बेशक भूल गए लेकिन वो नहीं भूला अपने उन सभी दोस्तों को जो लौट के घर न आए.............


मेजर जनरल सोमनाथ झा 30 सितम्बर 2016 को रिटायर हुए और 18 दिन बाद 19 अक्तुबर को साइकिल पर सवार होकर निकल पड़े उन सभी 21000 शहीदों को श्रद्धांजलि देने जो रिटायर न हो सके। मेजर जनरल सोमनाथ जी हर जवान के लिए 2 मिनट साइकिल चला रहे हैं। ये उनकी तरफ से श्रद्धांजलि है हर उस शहीद के नाम जो देश के लिए सर्वस्व न्योछावर कर गया । 21000 शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए 42000 मिनट की उनकी यात्रा अब लगभग आखिरी पड़ाव में है जो 19 अप्रैल को अमर जवान ज्योति पर ख़त्म होगी। देश के सभी राज्यों से गुजरते हुए मेजर जनरल सोमनाथ झा लगभग 12000 Km का सफर तय करेंगे । मेजर जनरल सोमनाथ झा अब तक 173 दिनों में 10,230 Km साइकिल चला चुके हैं | 


अपने 37 साल के सैन्य अनुभव में उन्होंने न जाने कितने दोस्तों को बिछुड़ते देखा । उन्हीं सभी की याद में वे साइकिल चला रहे हैं । मेजर जनरल सोमनाथ झा कि इस यात्रा में उनका भरपूर साथ निभा रहीं हैं उनकी पत्नी लेखिका चित्रा झा जी | वे खाने-पीने से लेकर सोशल मीडिया पर यात्रा अपडेट्स और यात्रा के रास्ते का चुनाव, सब मैनेज करतीं हैं | गौरतलब है कि ये पति-पत्नी अपना सब कुछ दान में दे चुके हैं और इनके पास अपना घर तक नहीं है |


आज पूरे देश को उन्होंने शहीदों का वो परम बलिदान याद दिला दिया "लेकिन", असल बात इस लेकिन से ही शुरू होगी कि हम लोग कितने भुलक्कड़ हैं | हमें उन शहीदों का बलिदान याद दिलाने के लिए एक सेनानिवृत फौजी साइकिल चला रहा है । अधिकतर लोग तो बस ये कह के पल्ला झाड़ लेंगे की ये उनका व्यक्तिगत श्रद्धांजलि उद्देश्य है, उनको तो बस अपने शहीद दोस्तों को याद करना था तो साइकिल चला रहे हैं लेकिन, बात जब शहादत की हो तो मामला व्यक्तिगत कहाँ रह जाता है | ज़रा सोचो ! और गहरा सोचो ! आज तुम साक्षात् सच देखो, तप देखो, बल देखो जो सीना चौड़ा करके साइकिल पर जा रहा है। 


इक सवाल पूछा मुझसे मेजर जनरल सोमनाथ झा की आँखों ने
की तुम्हारे अंदर क्या अब तक आत्मसम्मान ज़िंदा है
फिर क्यों कर्ज़ उनका तुमने भूला दिया
क्या गैरत का कतरा भी अभी तक
तुम्हारे अंदर ज़िंदा है
और ऐश करते कितनी मर्तबा याद आये वो सभी
जिनकी शहादत से अभी तक
ये ज़माना जिन्दा है
और मेरी आँखें जो मिली हुईं थीं उनसे
झुक गई शर्म से
की मैं तो मुर्दा लाश हूँ इस ज़माने की तरह
बस मेरी ये टूटी कलम जिन्दा है
और आज जो कुछ भी हूँ मैं लिख रहा
सोचना तुम यही की वो हर शहीद ज़िंदा है


आज मुझे प्रेरणा का सागर दिख गया साक्षात्
इक फौजी जो गुजरा है साइकिल पे
मेरी बगल से

अक्सर लोग उसे अकेला ही देखते हैं
लेकिन आज साथ जो देखा रूहों का
जब गुज़रा मैं उनकी बगल से


सलाम है तुमको और तुम्हारे जज़्बे को
ये मकसद तुम्हारा जो बस सिर्फ तुम्हारा न रहा
की है यही मकसद असली हर देशप्रेमी का
की सम्मान हो, इन्साफ हो और सबको याद हो
बलिदान शहीद हर फौजी का


मेरे रहनुमा पाठ सच्ची दोस्ती, सच्ची देशभक्ति, सच्ची श्रद्धांजलि का
खूब पढ़ाया तुमने
बहुत धन्य हूँ मैं की
मेजर जनरल सोमनाथ झा से मिलाया तुमने

शहादत नाम है किसका बता दिया तुमने
और सम्मान नाम है किसका
ये दिखा दिया तुमने

की बहुत छोटा हूँ मैं
बहुत छोटा मेरा साथ रहा
और
मेरी कलम बहुत बौनी है
आपके मकसद के आगे

लेकिन शहीद उस हर फौजी की ललकार
मेरे शब्दों में जिन्दा है
की चले थे तुम जिन दोस्तों की याद में
दोस्त वो सब आपके
मेरे शब्दों में जिंदा हैं
और भूल गया चाहे सारा देश
उस शहीद को
मेरे दोस्त का हर वो पिता
मेरे लफ़्ज़ों में जिंदा है


भूल चुके थे हम
और शायद कल फिर से
भूल जाएँगे
लेकिन शहीदों की मज़ारों पर लगे थे जिस बरस मेले
उस बरस मेजर जनरल सोमनाथ जी
साइकिल से आए थे


मेजर जनरल सोमनाथ झा की इस पवित्र साहसिक यात्रा में हर वतन परस्त के लिए एक सवाल है। आखिर क्यों हमें भूल गया उनका बलिदान ? शायद, इस देश ने अब वो सम्मान, साहस वो बलिदान भावना वो तेज़ वो प्रताप सब भुला दिया है ।

मेरे गांव से,वो चला तो गया
साइकिल पर सवार होकर
पर एक सवाल छोड़ गया
की शहीदों की शहादत
क्या अब भी ज़िंदा है

और टटोल कर ज़ेहन अपना
सोचना जवाब जरूर
की तुम्हारे अंदर का वो देशभक्त
कितना ज़िंदा है


एक बात जो मेरे ज़ेहन में आ रही है वो यह की सीमा पर शहीद होते हुए एक फौजी के ज़ेहन में क्या चल रहा होगा ?? तुम भी सोचो और तुम भी जान जाओगे की मेजर जनरल सोमनाथ झा क्यों साइकिल से पूरे देश की यात्रा कर रहे हैं | शायद, तब तुम्हें समझ आ जाए मकसद क्या चीज़ होती है..... 
ज़रा अकेले में गहरी सोच विचारना मामला बहुत संजीदा है।


मेरे रहनुमा आज क्या खूब सबक मुझे सिखाया
न भूलूँगा कभी बलिदान हर रूह-ऐ-शहीद का

उन्हीं सभी शहीद रूहों के नाम....................................

7 comments:

  1. अत्यंत सार्थक पोस्ट 👌 मज़ा आ गया शर्मा जी

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  2. Wah ... Desh bhakti jaga di...

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  3. इतना हौसला!!! रिटायर्ड होने के बाद हर सामान्य इंसान आराम पसन्द करता है इनके जज्बे को सलाम 🙏

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  4. Behad khoobsurat aapki Kavita aur Ye bol...Aaapki Kalam ko salaam... Desh ke iss retired General ko salaam... Desh Ke Unn veeron ko salaam jo Dekh rahe hain upar se Kahi ki Kya yaad Karta hai humko aaj koi kabhi

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  5. Behtareen....aapki kavita bhi aur Maj Gen Somnath Jha ka jajba bhi.

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  6. जबरदस्त लिखा भाई जी

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