Sunday 10 April 2016

चंडीगढ़ से कुरुक्षेत्र यात्रा

अप्रैल महीने की शुरुआत में धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र जाने का प्लान बना | गुरु जी और शुभम जी ने तो हफ्ते पहले से ही जाने का रास्ता, रुकने का ठिकाना आदि तैयारियां कर रखी थीं | मैं 8 अप्रैल की शाम को गुरु जी के पास पहुँच गया | गुरु जी की ओर से हम दोनों के लिए एक ही आदेश था " सालो जल्दी सो जाओ सुबह 4 बजे निकलना है " | वैसे यात्रा की एक्साइटमेंट में किसी को ठीक से  नींद नहीं आई | सुबह 3:30 बजे शुभम जी ने सबको जगा दिया | निकलते निकलते 4:20 हो चुके थे |
सुबह सुबह जल्दी निकलने का गुरु जी का फैसला बहुत सही रहा | सड़क अभी रात की ख़ामोशी में शांत और मौसम में ठंडक थी | सुबह सैर पे निकले लोगों को नमस्ते, गुड मॉर्निंग बोलते-बोलते कब चंडीगढ़ से जीरकपुर पहुँच गए पता ही नहीं चला | जीरकपुर फ्लाईओवर के ऊपर से NH 22 पे अम्बाला की ओर हो गए | डेराबस्सी से थोड़ा पहले एक और फ्लाईओवर आया और इस बार हम चढ़ाई से बचने के लिए  उसके नीचे से जाने लगे लेकिन इस बार भी वही हुआ जो आनंदपुर साहब से वापिस आते समय मेरे साथ रोपड़ में हुआ था फ्लाईओवर रेलवे ओवर ब्रिज निकला | साइकिल उठा के रेलवे लाइन पार करनी पड़ी |
अब तक सभी वार्मअप हो चुके थे और रफ़्तार भी बहुत अच्छी चल रही थी |
लालडू पहुँचने तक भोर हो चुकी थी | सुबह का सुहाना समां और साइकिल की सवारी इसके इलवा क्या चाहिए ! 


दांगदेहरी (लोहगढ़) के पास पहला ब्रेक लिया गया | सूर्य उदय के फोटो खींचे गए और हल्का फुल्का बिस्कुट केक वगैरा खाया | यात्रा फिर शुरू की गई और आधे घंटे के बाद अम्बाला पहुँच गए |

रास्ते में कई जगह लोग रॉंग साइड पे चलते मिलते हैं | 200-300 m बचाने के चक्कर में अपनी जान तो जोखिम में डालते ही हैं और समने से सही तरफ चलने वाले लोगों के लिए भी खतरा उत्पन करते हैं | कई बार हादसा होते होते बचा |


आधा रास्ता तय हो चुका था | आसमान में बादल छाये थे | गुरूजी और शुभम जी ने अच्छे कर्म किये होंगे जो हम पर  सूर्यदेव की कृपा द्रिष्टि बनी रही | अम्बाला और उसके बाद मोहरा फिर गौरीपुर पहुँचने तक तो मौसम ठंडक भरा ही रहा |
शाहाबाद मारकंडा पहुंचे पर भगवान् शिव द्वारा मह्रिषी मार्कण्डेय ( महा मर्तियुंजय मन्त्र के रचयिता) को यमराज से बचाने का और सिख योद्धा बन्दा सिंह बहादुर द्वारा खलील खान से इस स्थान को जीतने का इतिहास याद आ जाता है | पौराणिक इतिहास कहता की मारकंडा नदी जो की सरस्वती नदी की उपनदी थी यहीं से होकर बहती है |
शरीफगड पहुँचने तक मौसम गर्म हो चुका था | आसमान में बादल और सूरज की लुका छिपी तो जारी थी लेकिन दिन चढ़ने के साथ साथ गर्मी बढ़ती जा रही थी |
अब मैं सबसे आगे चल रहा था | खानपुर कोलियां के पास एक ऑटो में बैठे कुछ कॉलेज विद्यारहित विद्यर्थी मिले | पहले तो मैं उनकी हरकतें इग्नोर करता रहा मगर उनका रेस का प्रस्ताव मुझे मंजूर था | पीपली पहुँचने तक मैं ऑटो, गुरूजी और शुभम जी से काफी आगे आ चुका था | मैं पीपली बस स्टैंड पे 9 बजे पहुँच गया था लेकिन गुरूजी और शुभम जी 9:30 तक आये और तब तक मैं सड़क के किनारे बैठा गुड़ खा रहा था |   

पीपली से दईने हाथ की तरफ 3 KM  पे  कुरुक्षेत्र है | धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में पहुँच कर सबसे पहले तो सराय में बुक कराये गए AC कमरे में आराम किया | दोपहर का खाना खाने के बाद फिर सो गए | शाम को ब्रह्मसरोवर आदि धार्मिक स्थानों का भ्रमण किया |

 

BRAHMSAROVAR

SANT SHEIKH CHILI MAKBRA

HARSH KA TILA 

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